भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी का यह कहना कि भाजपा में नरेन्द्र मोदी के अलावा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी आने वाले समय में प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं श्री शिवराज सिंह चौहान की पिछले कुछ वर्षो में भारतीय जनता पार्टी बढ़े कद को प्रदर्शित करता है। पिछले कुछ वर्षो में श्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहानसबसे प्रमुख नेताओं में उभर कर आए हैं। वर्ष २००३ के विधानसभा चुनावों में भाजपा को प्रदेश में भारी बहुमत मिला था। फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुर्सी उमा भारती, बाबूलाल गौर से होते हुए नवंबर २००५ में श्री शिवराज सिंह चौहान तक पहॅुुची। पिछले साल राज्य में हुए विधानसभा चुनावों को उनकी नेतृत्व परीक्षा के रूप में देखा जा रहा था और भाजपा को दोबारा भारी बहुमत से सता में लाकर वो इस परीक्षा में पास भी हो गए। मुख्यमंत्री पद की दोबारा शपथ लेने के साथ ही चौहान ने केन्द्र की कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के विरूद्व बिगुल बजा दिया है। उन्होंने प्रदेश की जनता के अधिकारों की रक्षा और केन्द्र सरकार की भेदभाव नीतियों के विरूद्व जन आंदोलन खड़ा करने में कामयाबी हासिल की। बिजली और कोयले के मुद्दे पर श्री चौहान ने कोयला सत्याग्रह और दिल्ली में कोयला मार्च कर साबित कर दिया कि वह वास्तव में आम आदमी के मुख्यमंत्री हैं। शिवराज को भले ही भाजपा के अहम नेताओं में गिना जाने लगा हो, लेकिन वो खुद को मध्य प्रदेश तक ही सीमित रखना चाहते हैं। भविष्य में केंन्द्र में बड़ी भूमिका के सवाल पर शिवराज कहते है कि मध्यप्रदेश के विकास के सिवा उनके दिमाग में और कोई बात आती ही नहीं हैं और मध्यप्रदेश ही उनका कुरूक्षेत्र हैं। शिवराज सिंह चौहान इस बात पर भी जोर देते हैं कि लालकृष्ण आडवाणी पार्टी और देश के श्रेष्ठतम नेता हैं और अरडवाणी के बाद भी पार्टी कई नेता हैं जो उनसे ज्यादा सक्षम हैं। राजनीति सेवा, विकास और निर्माण का सबसे सशक माध्यम है राज्य में शिवराज की लाडली लक्ष्मी और सामूहिक विवाह जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन जिसे मध्य प्रदेश के लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया हैं, लेकिन बिजली, पानी स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे कई गंभीर मुद्दे हैं जिनसे जनता परेशान है। राज्य में मूलभुत सुविधाओं के अभाव के बारे में पूछने पर श्री चौहान गंभीर हैं और वह उन्हें प्राथमिकता के तौर पर हल कर प्रदेश वासियों को खुशहाल जिंदगी देना चाहते हैं। लेकिन वह ये भी मानते हैं कि आजादी के बाद ६० साल में जो काम होने चाहिए थे वो नहीं हुए। उनका कहना है कि मध्य प्रदेश को पूरी तरह विकसित करने में कुछ और समय लगेगा। शिवराज सिंह चौहान की सफलता का श्रेय विपक्षी पार्टी कांग्रेस को भी जाता हैं। कांग्रेस राज्य में पूरी तरह विभाजित है। लेकिन मुख्यमंत्री का कहना है कि उन्हें जनादेश उनके काम की वजह से ही मिला है। न कि कांग्रेस पार्टी की नाकामियों की वजह से। राजनीति सेवा, विकास और निर्माण का सबसे सशक्त माध्यम लाडली लक्ष्मी की प्रेरणा श्री शिवराज सिंह चौहान को कहां से मिली, इस पर उनका कहना है कि बचपन से ही मैंने लड़कियों के साथ अन्याय होते हुए देखा। लिगं अनूपात लगातार गिरता जा रहा है। मैंने सोचा कि केवल कानून से कुछ नहीं होगा और भ्रूण हत्या को तब तक नहीं रोका जा सकता, जब तक कि लड़कियों को बोझ से वरदान न बना दें। मुख्यमंत्री श्री चौहान को सड़क पर संघर्ष करने में भाजपा की राष्ट्रीय नेता एवं चुनाव प्रभारी सुषमा स्वराज की उपस्थिति से भी अधिक बल मिला है। अपने विकास कार्यो के बल पर दोबारा सता में गए शिवराज सिंह चौहान ने आत्मिविश्रास और काम के प्रति प्रेरणा बढी है। लोकसभा चुनाव के परिणाम १६ मई को आने है। अब देखना ये देखना ये है कि विधानसभा चुनावों की तरह शिवराज सिंह चौहान इन चुनावों में भी राज्य में सरकार विरोधी लहर की धारणा को धूल चटा पाते हैं या नहीं।