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एमपी में लोकायुक्त की छापेमारी में गद्दे में छुपा रखे थे 57 लाख


एमपी में एक इंजीनियर ने अपनी काली कमाई से इतने नोट कमाए कि लोकायुक्त की टीम उसे गिनते-गिनते थक गई। जी हां, मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की टीम ने एक इंजीनियर के घर छापेमारी कर काली कमाई का खुलासा किया है। ये हैं नर्मदा विकास प्राधिकरण के सुप्रीडेंट इंजिनियर प्रह्लाद सिंह।

प्रह्लाद सिंह के घर जब लोकयुक्त ने छापा मारा तो शायद उन्हें भी इसका अंदाजा न रहा होगा कि इंजीनियर साहब के बंगले में करप्शन की जड़ें इतनी गहरी हैं। घर में जहां भी खंगाला गया नोटों की गड्डियां नहीं बल्कि नोटों से भरे बर्तन, कनस्तर और पेटियां मिलीं।

कहते हैं कि पानी की टंकी में भी नोट छुपाकर रखे गए थे। मालूम पड़ता है कि साहब ने अपनी मैडम के लिए गहनों पर भी दिल खोलकर रुपये लुटाए। थोड़ा और परिचय चाहिए तो आपको बता दें कि प्रह्रलाद साहब जबलपुर में तैनात हैं और नर्मदा घाटी के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के इनके कई किस्से बताए-सुनाए जाते हैं और इन किस्सों की तस्दीक दौलत के इन जखीरों ने बखूबी कर दी है। दुस्साहस देखिए, अपने बचाव में इनके पास अभी भी तर्क हैं।

पिछले कुछ समय से मध्य प्रदेश में लोकायुक्त के छापे लगातार चल रहे हैं और इन छापों में अकसर ऐसे ही बेहिसाब दौलत भी मिल रहे हैं। बावजूद इसके अगर अधिकारियों का रवैया नहीं बदल रहा तो समझ सकते हैं कि  हालात कितने गंभीर हैं।

लोकायुक्त की टीम ने कार्रवाई में 2.5 करोड़ से ज्यादा कीमत की संपत्ति का खुलासा किया है। उनके बंगले के हर कमरे से नकदी बरामद हुई है। इसे ट्रंक, गद्दे के नीचे और किचन के डिब्बों में छिपाकर रखा गया था। 31 साल की नौकरी में अधीक्षण यंत्री की कुल आय करीब 49 लाख रुपए होनी चाहिए थी।

अभी अभी देश ने लोकपाल बिल पास किया है। अन्ना कहते हैं कि इससे 50 प्रतिशत करप्शन कम हो जाएगा। खास बात ये है कि लोकपाल या लोकायुक्त जैसी संस्थाओं के पास करप्शन रोकने का कोई मेकेनिज्म नहीं होता अलबत्ता इनकी मौजूदगी से भ्रष्टाचार से भय खाने की उम्मीद जरूर की जाती है। लेकिन वो भय मध्य प्रदेश में तो नहीं दिखता। 

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