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भुल जाओ गुजिये ........

दिपावली देश का वह सबसे बड़ा त्यौहार है, जिसमें हर घर में मीठा बनाया जाता है साथ ही परम्परा अनुसार मिठाई एक - दूसारों के घर भेजी भी जाती है। इस त्यौहार पर मिठाईयों का बड़ा कारोबार भी होता है और देश के दुश्मनों ने इस बार इन मिलावट खोरों को निज स्वार्थ ने इतना गिरा दिया है कि इन्हें देश जनता के स्वाथ्य की भी चिन्ता नहीं है। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि इन मिलावटखोरों के खिलाफ शासन भी हार मान बैठे है। खाघ निरीक्षकों के अपर्याप्त पदों के रहते पहले ही काम में चुस्ती नहीं लाई जा सकती थी ऊपर से दिन प्रतिदिन बढ़ती मिलावट खोरी के यह समस्या और बड़ी होती जा रही है। शासन ने २८० खाघ निरीक्षकों के पद स्वीकृत हैं जिनमें सिर्फ २०२ पदों पर ही खाघ निरीक्षक सेवा में है शेष पद रिक्त हैं। जबकि प्रदेश की आबादी लगभग ७ करोड़ के आसपास है तब मात्र २०२ पद इस मिलावटी लोगों के खिलाफ क्या कर पायेंगे। नही खाघ एवं औषधि नियंत्रण विभाग के पास पर्याप्त संसाधनों की व्यवस्था ही है। शासन - प्रशासन की कमियों का मिलावट खोर भरपूर फायदा उठाते हैं। हमारे कानून की लचर व्यवस्था में भी इनके लिए कोई कठोर सजा का प्रावधान भी नहीं है। फिर लंबी चलने वाली न्याय व्यवस्था का भी यह भरपूर फायदा उठाते हैं। विदेशी टाफियों ने काफी हद तक वैसे भी भारतीय मिठाईयों में सें धमारी कर ली हैं कुछ मीठा हो जाये का विज्ञापन करते सदी का महानायक जब त्यौहारों पर इससे मुंह मीठा करने की बात करता है और अपने बेटे की शादी में बताशों की जगह निमंत्रण पत्र के साथ के साथ केटबरी की टॉफी भेजता है तब सच लगने लगता है कि अब इस देश की संस्कृति मिठास में विदेशी कीड़े लग चूके हैं। बचा - खुचा काम मिलावट खोरों ने कर दिया जिससे लोग मजबूरन इन विदेशी कंपनियों की मिठास से ही मुंह मीठा करने में ही अपना भला समझेंगे। इन सबके चलते भारतीय महिलाओं के लिए खुशखबरी भी है कि उन्हें त्यौहारों पर परिश्रम करने की जरूरत नहीं, सेलिब्रेशन का आधूनिक ढंग अपनाएं और त्यौहार पर सजधज कर तैयार रहें। चीनी ड्रेगन की सजावटी मालाओं चमचमाती झिलमिलाती लड़ों के बीच बीच इस भारतीय पुरातन त्यौहार को अब हम विदेशी मिठाईयों के साथ मनाएंगे। आने वाले समय के लिए कुछ देशी मिठाईयों की तस्वीरों को जरूर सहेज कर रखना होगा जिससे आने वाली पीढ़ी के बच्चों को बता सके कि इसे देश में भी मिठाईयां बनाई जाती थी।

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