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लोकसभा चुनाव में सत्ता की चाशनी पर मंडराते भवरे

इस बार तय मानिए कि अप्रैल - मई में सूरज से ज्यादा गर्म राजनीति का पारा होगा. लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरो से जारी है अकबर रोड स्थित कांग्रेस कार्यालय हो या अशोक रोड स्थित भाजपा मुख्यालय, सभी राजनीति की कुटिल चालों, रणनीतियों और घातक आरोपों - प्रत्यारोपों से खुद को लैस कर रहे है. नेताओं का एक कदम लखनऊ, नागपुर या गुवाहाटी में होता है, तो दुसरा दिल्ली, मुबई या चन्नई में. कोई भी दल किसी तरह का मौका नहीं चूकना चाहते है. सावधानी और रणनीति का आलम यह भी है कि एक - दो सीट जीत सकने वाले दलों प्रत्याशियों से भी अभी से पींगे बढ़ाई जाने लगी है. जो नेता चुनाव लड़ने के नाम से ही कांपने लगते थे, उन्हें भी इस बार कंबल ओढाकर लोकसभा चुनावों के लिए तैयार किया जा रहा है. भूल जाइए, कि यह इस गठबंधन में है और वह दल दुसरे में. सत्ता की राजधानी में बस कुर्सी के पाए ही रिश्तेदारी कराते हैं या सालों के संबंध तोड़ देने के लिए ललचाते भी है.

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