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यौन संबंधों पर भी मंदी की भारीआर्थिक

यौन संबंधों पर भी मंदी की भारी आर्थिक मंदी का असर दफ्तर और किचेन के बाद अब बेडरूम में भी दिखने लगा है। मंदी की सुरसा हर दिन सैकडों लोगों को रोजी रोटी निगल रही है लेकिन अब यह लोगों की मानसिक शांति के साथ-साथ उनके यौन जीवन पर ही ग्रहण लगा रही है श्रम मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक मंदी के कारण पिछले साल अक्टूबर और नवंबर में भारत में पांच लाख लोगों की नौकरियां छिन गयीं। लोगो की नौकरियां जाने का सिलसिला आज भी जारी है और कोई नहीं जानता कि कब किसकी नौकरी पर गाज गिरेगी । नौकरी खोने का यह डर लोगों में न केवल मानसिक बल्कि यौन समस्यायें भी पैदा कर रहा है। प्रजनन एवं संतानहीनता पर विशेष शोध करने वाली प्रजनन एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डा याचना ग्रोवर कहती हैं कि अध्ययनों में पाया गया है कि आर्थिक मंदी जैसी आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं के कारण पुरुषों में टेस्टोस्टेरान नामक हार्मोन के स्तर में गिरावट आती है और यह गिरावट अंततोगत्वा हरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्यायें पैदा करती हैं। वह कहती हैं कि आर्थिक तंगी या काम काज को लेकर लंबे समय तक कायम रहने वाला तनाव पुरुषों में उक्त हार्मोन के स्तर को कम सकत है नयी दिल्ली स्थित नेत्रायतन सेंटर फार इंफर्टिलटी की अध्यक्ष डा ग्रोवर बताती है कि टेस्टोस्टेरान पुरुष यौन लक्षणों के विकास को बढाता है और इसका संबंध यौन क्रियाकलापों रक्त संचरण और मांसपेशियों के परिणाम के साथ साथ एकाग्रता । मूड और याद्दाश्त से भी है। जब कोई पुरुष चिडचिडा या गुस्सैल हो जाता है तो लोग इसे उसके काम या उम्र का प्रभाव मानते हैं। लेकिन ऐसा वास्तव में टेस्टोस्टेरान का स्तर कम हो जाने के कारण होता है। कम समय का तनाव टेस्टोस्टेरान के स्तर को बढाता है और यह दबाब के कारण तुरंत प्रतिक्रिया करने और नयी परिस्थितियो का सामना करने में मददगार होता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवन शैली के कारण अधिक दबाव वाली नौकरी से बेरोजगारी तक के डर के कारण तनाव हम पर बहुत जल्द जल्द हावी हो जाता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डा निकिता त्रेहन का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान यौन समस्याओं और नपुंसकता में 30 से 40 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है ट्रिनिटी हेल्थ केयर सेंटर की डा त्रेहन का कहना है किहाल के वर्षों में यौन समस्याओं को बढाने के लिये आर्थिक मंदी ही नहीं बल्कि कुछ माह पूर्व तक जारी आर्थिक तेजी भी काफी हद तक जिम्मेदार है क्यों कि इन दोनों कारणों की बजह से पति पत्नी घर .परिवार एवं दाम्पत्य संबंधों के बजाय कैरियर, वेतन औैर पैसे आदि को लेकर ही अधिक चिंतित रहते हैं।

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1 Comments

  1. thanks, mandi ke asar ki ek or achhi khabar padne ko mili.

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