भोपाल प्रदेश के किसान मंडी में एक रूपए/किलो की दर से आलू बेचने को मजबूर हैं। वहीं आलू से बनने वाले पैकेट बंद चिप्स 500 रूपए प्रति किलो तक बिक रहे हैं। भोपाल समेत अन्य जिलों में इस बार आलू की अच्छी पैदावार किसानों के लिए जी का जंजाल बन गई है। लागत को कौन पूछे कोल्ड स्टोरेज का किराया निकालना भी मुहाल हो रहा है। किसानों की मांग है कि सरकार फसलों की खरीद के लिए नई नीति बनाए और न्यूनतम मूल्य निर्धारित करे। मौजूदा नीति से किसानों को कम उद्योगपतियों को ज्यादा फायदा हो रहा। वे सवाल उठाते हैं कि आलू की प्रोसेसिंग कर चिप्स बनाने में कितना खर्च आता है कि उसकी कीमत पांच सौ प्रति किलो तक हो जाती है। अनाजों के भाव पर तो अंकुश है, पर उनसे बनने वाले उत्पाद मनमाने भाव से बेचे जाते हैं। और गिर जाते हैं भाव किसानों का कहना है कि सरकार की नीतियों का ही नतीजा है कि जब भी फसल पैदा होती है, तो उसके दाम कम हो जाते हैं। अक्टूबर—नवम्बर में जब सोयाबीन की फसल आई थी, तब इसका भाव 1500 रूपए/क्विंटल था और अब 2500 रूपए पर पहुंच गया है। किसानों को मजबूरी में सस्ते दामों पर फसल बेचनी पडती है। प्रदेश में आलू की सबसे ज्यादा पैदावार इंदौर, उज्जैन, देवास, शाजापुर आदि जिलों में होती है। इसके अलावा भोपाल और भिंड में भी अच्छी पैदावार होती है। प्रदेश में आलू उत्पादन
वर्ष—————————बुवाई ———पैदावार
2006—07 48572———648436
2005—06 45999———689985
2004—05 47602———714030
2003—04 46578———698670
2002—03 40903———613545
2001—02 38419———576285
(बुवाई हेक्टेयर में, पैदावार मीट्रिक टन में)
चिप्स के भाव
कम्पनी——— वजन——— कीमत
लेज——— 14——— 5
अंकल——— 14——— 5
लिप चिप्स ——— 15——— 5
बिंगो——— 32——— 10
(वजन ग्राम में, कीमत रूपए में, इसमें पैकेट का वजन भी शामिल है)
किराया भी नहीं निकलता
आलू सस्ता होने के कारण किसानों की लागत तो क्या कोल्ड स्टोरेज का किराया भी नहीं निकल रहा।
— आलोक भदौरिया, मैनेजर, कोल्ड स्टोरेज (लाम्बाखेडा)
न्यूनतम मूल्य तय हो
सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण फसल के वक्त भाव गिर जाते हैं। न्यूनतम मूल्य निर्धारित होना चाहिए।"





5 Comments
सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण फसल के वक्त भाव गिर जाते हैं....न्यूनतम मूल्य निर्धारित होना चाहिए.......बहुत दयनीय स्थिति है किसानो की......सरकार को इस विषय पर अवश्य सोंचना चाहिए।
ReplyDeleteतथ्य और विचार - दोनों ही सन्दर्भों में आपकी पोस्ट विचारोत्तेजक है। आश्चर्य यह कि सारे देश में यही सब कुछ हो रहा है फिर भी न तो किसान संगठन कोई हल्ला मचाते हैं और न ही किसान के वोटों के दम पर सरकार में आए लोग। सारे देश का पेट भरने वाला अन्नदाता 'किसान' खुद किस तरह षडयन्त्रपूर्वक भूखा रखा जाता है-यही बताती है आपकी यह पोस्ट।
ReplyDelete(यदि आप उचित समझें और आपके लिए सम्भव हो तो अपने ब्लाग से 'वर्ड वेरीफिकेशन' की व्यवस्था अविलम्ब हटा लें। यदि यह व्यवस्था बनी रही तो आपके ब्लाग पर टिप्पणी करने में मुझे असुविधा होगी-इतनी कि मुझे पुनर्विचार करना पडे।
अनुरोध मेरा, निर्णय आपका।)
खेती किसानी की लूट को असरकारक ढंग से प्रकट किया है । मनोकामना है कि आप इसी उत्साह के साथ लिखना जारी रखेंगे। बधाई ।
ReplyDeleteaapne bahut mahatvpooran vishy par likha hai is vishay ko jan andolan banaane ki aavshykata hai aapke pryas ke liye dhanybaad --
ReplyDeleteapane naseeb par khaDi roti hai insaaniat
bhukhe pait anaaj boti hai insaaniat
आपके लेखन से आपके विचारों का अंदाज लगाते हुए आपके लिए यह आमंत्रण है.
ReplyDeleteपिछले कुछ अरसे से खुले मंच पर समाज सेवियों का सामाजिक अंकेषण करने की धुन सवार हुई है, हो सकता है, इसमे भी आपके द्वारा लिखत-पडत की जरुरत हो? कृपया देखें http://oursocialaudit.blogspot.com