बूंदी. वह अस्पताल में प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी। रात को वहां किलकारी गूंजी थी लेकिन बाहर मौजूद लोग खून के आंसू रो रहे थे। ..क्योंकि प्रसूता गीता मात्र 13 वर्ष की है। दो साल पहले खेलने की उम्र में ही उसे अपने बड़े भाई मनोज की शादी की एवज में ब्याह दिया गया था। उसकी दर्दनाक कहानी सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। पड़ोसन बादाम बंजारा ने मां का फर्ज अदा कर गीता को गले लगाया। मामला राजस्थान के बरड़ क्षेत्र के कंवरपुरा गांव का है। बेटी को जन्म देने के बाद गीता ने आप-बीती सुनाते हुए कहा कि उसका जन्म गंगापुरसिटी में हुआ था। तीन वर्ष की उम्र में पिता रामस्वरूप जोशी की मौत हो गई। पिता की मौत के बाद मां भी किसी के साथ चली गई। जिसका आज तक पता नहीं चला। सबसे बड़ा भाई रमेश बड़ौदा में मजदूरी करता है। आठ वर्ष पूर्व गीता का दूसरा भाई मनोज गीता को लेकर डाबी आ गया। डाबी में मजदूरी करते हुए मनोज की पहचान रावतभाटा निवासी प्रकाश पुत्र मांगीलाल से हो गई। उसके बाद प्रकाश की बहन चन्द्रीबाई की शादी मनोज से करने की एवज में प्रकाश ने आंटे-सांटे (इधर दे, उधर ले) की शर्त रखते हुए गीता की शादी प्रकाश से करने को कहा।दस वर्ष की उम्र में गीता की शादी दोगुनी उम्र के प्रकाश से व मनोज की शादी चंद्रीबाई से करा दी गई। गीता को प्रकाश के घर वाले ससुराल में परवरिश करने का वादा करते हुए अपने साथ ले गए, जहां गीता की सास कल्ली की पहल पर प्रकाश ने गीता को 11 वर्ष की उम्र में संबंध बनाए। गीता दो वर्ष तक ज्यादती का शिकार होती रही। जब गीता गर्भवती हो गई, तो 2 माह के गर्भ के साथ उसकी सास व प्रकाश गीता को उसके भाई मनोज के पास छोड़कर चले गए। तब तक गीता व मनोज को गर्भवती होने का पता नहीं चला।गीता को गर्भावस्था में छोड़ने के बाद उसकी भाभी चन्द्री भी मायके चली गई। चन्द्री के चले जाने के बाद मनोज गीता को लेकर कंवरपुरा गांव आ गया, जहां बादामबाई बंजारा के मकान के पास रहकर मजदूरी करने लगा। गीता का गर्भ जब चार माह का हुआ, तो पड़ोस की औरतें गीता को नर्स के पास ले गई, जहां गीता के गर्भवती होने की पुष्टि हुई। पड़ोसन कमला ने 6 माह तक गीता की सेवा-संभाल की।14 फरवरी को गीता ने तालेड़ा अस्पताल में एक स्वस्थ पुत्री को बमुश्किल जन्म दिया। नर्स जसप्रीत कौर ने बताया कि गीता की कम उम्र के कारण प्रसव बहुत मुश्किल था लेकिन अब जच्च-बच्च स्वस्थ हैं। गीता के भाई मनोज के अनुसार उसने प्रकाश से संपर्ककरने का प्रयास किया, लेकिन उनके द्वारा गीता को छोड़कर जाने के बाद कोई सुध नहीं ली गई। परवरिश का जिम्मा उठाया दिहाड़ी मजदूरी कर गीता व स्वयं का खर्चा चलाने वाले मनोज की माली हालत को देखते हुए गीता की परवरिश का जिम्मा पड़ोसन बादाम ने उठाया, वहीं पढ़ाई व अन्य खचरे का जिम्मा शिशु वाटिका परिवार द्वारा उठाया जाएगा। अस्पताल की ओर से उसे 1700 रु. का चेक, नवजात के कपड़े और नि:शुल्क दवा दी गई।कार्रवाई की मांग उठी समाजसेवी संस्थाओं ने किशोरी को मां बनाने वाले प्रकाश व उसके परिजनों के खिलाफ कानूनी कारवाई की मांग की है। चम्बल क्लब के संस्थापक अध्यक्ष नवीन जौहरी, मदद संस्था के डॉ. हरजीतसिंह ने एसपी से मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्यवाही करने की जरूरत बताई।
3 Comments
अमानवीय इसका दोषी मनोज भी है उसे भी दंड देना चाहिये
ReplyDeletekhabar aaj ke dainik bhaskar mein publish hui hai...
ReplyDeletekhelne ke dino mein khud maa ban gayi....
ghatna bahut dukhad hai....
ये अमानवीय है, क्रूरता है। एक बच्ची जिसके पढ़ने खेलने के दिन है उसको इस तरह से.....वाह रे समाज
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