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पुलिस के गुंडा स्कवाड का शिकार न्यूज़ 24

पुलिस का गुंडा स्कवाड देखना हैं तो भोपाल के क्राइम ब्रांच के दफ्तर पहुँच जाईये आपको पुलिस के गुंडों के कई नमूने साक्षत नज़र आ जाएँगे और अगर इन पुलिसिया गुंडे की गुंडागर्दी का वहशियाना अंदाज जानना हो तो न्यूज़ 24 के कैमरामैंन कमलेश मालवीय की जुबानी आप उसे सुन सकते है 19 मार्च की शाम कमलेश भोपाल के शाहपुरा में अपने घर पर बैठे थे कि तभी क्राइम ब्रांच के पुलिसवाले एक लड़के को मरते पीटते बगैर नंबर कि बुलेरो में डाल के ले जाने लगे कमलेश जागरूक पत्रकार हैं सो उसने पूछ लिया इसके साथ ऐसा बर्ताव क्यूँ ? और आप लोग कौन हैं बस पुलिस के गुंडो ने आव देखा न ताव कमलेश को पकडा और मरना पीटना शुरू कर दिया उसके बताने के बाद कि वह पत्रकार हैं उसे जमकर पीटा गया उसके घर से क्राइम ब्रांच के दफ्तर तक पीटते हुए उसे ले जाया गया वहाँ क्राइम ब्रांच की चीफ निमिषा पांडे के सामने कमलेश को मारा गया , वह बैठी किसी से फोन पर बतियाती रही इतने में कमलेश के परिजन ने न्यूज़ 24 के चीफ प्रवीण दुबे को घटना कि जानकारी दी कुछ कैमरापर्सन को भी खबर मिली कि पुलिस वाले बर्बरतापूर्वक कमलेश को मार रहे हैं मीडिया के कुछ लोग क्राइम ब्रांच दफ्तर पहुंचकर पूछ ताछ कर ही रहे थे कि वहाँ बैठी डीएसपी निमिषा पांडे के सामने गुंडागर्दी पर उतारू नशे में धुत पुलिस वाले मीडिया कर्मियों पर लाठियाँ लेकर दौडे , वो तो समय पर ऐएसपी ऐ.के.पांडे पहुंचा गए और मीडियाकर्मी पुलिसिया गुंडागर्दी का शिकार होने से बच गए न्यूज़ 24 के कमलेश के शारीर पर नील, चोट के कई निशान, बहता खून भोपाल पुलिस कि गुंडागर्दी का जीता जगता नमूना हैं कमलेश इस घटना से हैरान हैं वह कहते हैं - पुलिस का नारा है पडोसी कि रक्षा में आपकी सुरक्षा और मैंने अपनी पडौसी में रहने वाली एक माँ कि पुकार पर गुंडागर्दी कर रहे लोगों से पूछा आप कौन हैं , मुझे नहीं पता था वे पुलिस वाले हैं उन्होंने एक दम मुझ पर अटेक किया ,पूरे रास्ते मुझे जूतों-चप्पलों से मारा यह जानने के बाद कि मैं पत्रकार हूँ वह कहते रहे कि तेरे को जुएँ सट्टे में फंसवाएंगे , तेरे मीडिया वालों को एसपी जयदीप प्रसाद के साथ हमने उज्जैन में भी फसवाया था , तुझे और तेरे मीडिया में इतने डंडे डालेंगे कि औकात याद आ जायेगी घटना के बाद से कमलेश के घर वाले परेशान हैं क्यूंकि पुलिस वाले उन्हें किसी गंभीर प्रकरण में न फंसा दें कमलेश बाईक से आते जाते हैं उसे गुंडे पुलिसवाले अपना शिकार न बना लें अब थोडा सा जान लें भोपाल क्राइम ब्रांच को एक एडिशनल एसपी इसे " एसपी का गुंडा स्कावड " कहते हैं उनका कहना हैं पूरे शहर में लोगों को डरा धमकाकर चौथ वसूली करना, अलग-अलग पुलिस थानों के काम में टांग अडाकर पुलिस के लिए मुसीबते खडी करना क्राइम ब्रांच का मुख्य काम हैं क्राइम ब्रांच में एसपी अपने चहेते मुसटंडो को खुली गुंडागर्दी कि छूट देकर आम लोगों के साथ पुलिस वालों का भी जीना हराम किये हैं क्यूंकि क्राइम ब्रांच का कोई कानूनी जामा हैं नहीं इसके लोग कुछ भी करके मामला संबंधित थाने को भेज देते हैं , जहाँ इन केसों का न ओर मिलता हैं न छोर कमलेश मालवीय के मामले पर भी एसपी जगदीप प्रसाद अपने गुंडे पुलिस वालों को बचाने में लगे रहे वो तो रात 10:45 पर किसी पत्रकार ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को मामले कि जानकारी दी तब जाकर मजबूरन जयदीप प्रसाद को गुंडे पुलिस वालों के खिलाफ एक्शन लेने कि बात कहना पड़ी इस घटना ने भोपाल रेंज के आईजी शलेन्द्र श्रीवास्तव को हिला कर रख दिया है उनका कहना हैं यू.बी.सिंह ओर भूपेंद्र को निलंबित कर दिया हैं , मैं इस घटना कि घोर निंदा करता हूँ हमारे पुलिस वालों को व्यवहार सुधारना पडेंगा और खासकर मीडिया को लेकर रिश्ते सुधारने कि जरुरत हैं इस घटना के समय मीडिया के लोग जब एसपी से गुंडे पुलिस वालों पर एफ. आई.आर कि बात कहने लगे तो एसपी ने मीडिया को धमकाया और कहाँ कि आप लोग एफ.आई.आर कि बात करेंगे तो हमारे पुलिस वाले आप के खिलाफ शासकीय काम में बाधा डालने कि एफ.ई.आर करेंगे इसके बाबजूद सभी कैमरापर्सन और अधिकांश रिपोर्टर एफ.ई.आर के पक्ष में थे लेकिन टीवी चैनल के दों डरपोक पत्रकार पुलिस कि जी हजुरी में लग गए और गुंडे पुलिस वालों के खिलाफ एफ.आई.आर नहीं करने दी स्टार न्यूज़ के ब्रिजेश राजपूत और आई बी एन-7 के मनोज शर्मा का रूप इस मामले पर पलायनवादी रहा, वही टाईम्स नाओ के राहुल सिंह , न्यूज़ एक्स के देशदीप सक्सेना,आज तक के इरशाद , साधना के संजीव श्रीवास्तव , इंडिया न्यूज़ के सुनील शर्मा , सहारा के मनीष कान्त जैन अक्रामक नजर आए ऐसे मामले में दम खम से लडने वाले इंडिया टीवी के अनुराग उपाध्याय मौके पर सबसे बाद में पहुंचे तमाशा देखा और सबसे पहले भाग लिये इस पूरे मामले पर मीडिया के लोंग एक साथ नहीं हो पाए इसका फायदा एसपी जयदीप प्रसाद ने उठाया और अपने चहेतें गुंडे नुमा पुलिसवालों के खिलाफ एफ.आई.आर नहीं होने दी और उन्हें मौके से भागने दिया इस घटना के बाद से भले ही पत्रकार दों खेमे में बट गए हों , लेकिन पुलिस की गुंडागर्दी के खिलाफ आक्रोश बरकरार हैं इससे पहले भी भोपाल एअरपोर्ट पर मीडिया कर्मियों पर लाठीचार्ज हुआ था फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई (खींचों न कमान न तलवार निकालों, जब तोप मुकाबिल हो तो अख़बार निकालों अकबर इलाहबादी के इस शेर से प्रेरणा लें और दखल जरुर दें )

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2 Comments

  1. हमारे बंटे होने का फ़ायदा न केवल पुलिस बल्कि नेता और प्रबंधन भी उठाता है।पुलिस की इस मामले मे जितनी निंदा की जाये कम है।

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  2. कोबरा पोस्ट पर पुलिस की गुंडा गर्दी एक कैमरा पर्सन के साथ मारपीट पढ़कर दिल दहल गया जब एक पत्रकार के साथ ऐसा हो सकता है तो आम आदमी के साथ पुलिस वाले कैसा सलूक करते होंगे सरकार को चाहिए की पुलिस की इस गुंडागर्दी को रोके और दोषी पुलिस वालो पर सखत कारवाही करे जिससे आगे इस प्रकार की घटनाओ को रोका जा सके उमेश सक्सेना
    http://umeshsaxenasheopur.blogspot.com

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