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भारतीय क्रिकेट की हार

भारतीय क्रिकेट ने पिछले करीब दो दशको में सीढ़ी दर- सीढी अपनी जो भव्य छवि बनायी है उसे कल भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के एक मजबूर फ़ैसले ने धूमिल कर दिया है यह सही है की आईपीएल के मामले में किसी के पास कोई चारा नहीं था चुनाव की देहरी पर खडा देश एन मतदान के दिनों में आईपीएल जेसे एक विशाल आयोजन की मेजबानी नहीं कर सकता था दूसरी और , क्रिकेट बोर्ड के पास आईपीएल की तारीख आगे खिसकाने की कोई गुंजाइश नहीं थी इस साल के आईपीएल पर भारी भरकम निवेश हो चुका था लिहाजा इसे टालने का सवाल ही नहीं था ऐसे में बीसीसीअई ने इसका आयोजन देश से बाहर करने का फैसला किया आईपीएल की छवि बनाये रखने के लिए यह निर्णय बेशक सराहनीये है लेकिन भारत और भारतीय क्रिकेट के लिए यह बड़ा झटका है आतंकवाद के इस समूचे दौर में यह पहला अवसर है जब अपने देश में किसी क्रिकेट आयोजन को सुरक्षा के लिहाज से रद्द करना पड़ा है यही नहीं कुछ विदेशी क्रिकेट ने बीसीसीई के इस फैसले पर जिस तरह ख़ुशी जताई है वेह हमारे लिए स्तब्द करने वाला है जो क्रिकेट आज विदेश में आईपीएल के आयोजन से प्रसन्न है वही लोग दो साल बाद विश्व कप क्रिकेट का आयोजन भारत से बाहर करने के लिए दबाव नहीं डालेंगे इसकी क्या ग्यारंटी है ? देश को भी आईपीएल न होने का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा मंदी के इस दौर में आईपीएल से बड़ी उम्मीदे थी यहाँ इसका आयोजन होता तो सुस्त पड़ी अर्थ व्यवस्था में कुछ जान आती पिछले साल आईपीएल ने बहुत सारे लोगो को रोजगार दिया था वेह उम्मीद भी इस बार जाती रही खुद भारतीय क्रिकेट को भी इस फैसले से आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ेगा इंग्लेंड या दक्षिण अफ्रीका में आईपीएल आयोजित कर लेने से बीसीसीआइ भले ही उस नुक्सान से कमोबेश बच जाए जो इसके रद्द होने से उसे होता है लेकिन फ्रेंचय्जी मालिक मिडिया पार्टनर्स , टीम प्रायोजक , वैन्यू प्रायोजक आदि उतने खुशकिस्मत नहीं रहेंगे जिन फ्रेंचय्जी मालिकों को पिछले साल घटा हुआ था वे इस बार स्थानीय स्तर पर अपना ब्रांड नाम मजबूत करने की सोच रहे थे उनका यह सपना टूट गया है इस तरह के आयोजन गांवों कस्बों में उपेक्षित पड़े किरकेट खिलाडियों को प्रेरित प्रोत्साहित करते है और ट्वेंटी -२० में अब तक ऐसे कई यूव्तर खिलाडियों ने अपनी प्रतिभाओं के जोहर बिखेरे है ऐसे लोगो को इस बार हताश होना पड़ेगा य्थिक है अपने यहाँ टेलिविज़न पर आईपीएल देखने वालों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन फटाफट किरकेट का यह संस्करण केवल टेलिविज़न पर देखे जाने तक सिमित नहीं है आईपीएल का तमाशा बाजार पर टिका है और भारत का विशाल बाजार इस बार इसके लाभ से वंचित है उम्मीद करनी चाहिए की किसी टूर्नामेंट के भारत से बाहर चले जाने का यह आखिरी मामला होगा

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