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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान परिषद् की किताबें संस्कृति के अनुरूप नहीं -सुदर्शन

" राष्ट्रीय शक्षिक अनुसन्धान परिषद् की किताबों में भारतीय इतिहास को जिस तरीके से तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है व कक्षा ७ की इतिहास की किताब में मध्यकाल का वर्णन जिस तरीके से किया गया है वह आश्चर्यजनक है व शिवाजी का जिक्र मात्र आठ लाइन में है यह संसकृति के अनुरूप नहीं है.और इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के श्री अर्जुन सिंह जिम्मेदार हैं और उन्ही के मन्रिमंडल सहयोगी शरद पवार भी कम दोषी नहीं है जो शिवाजी की भूमि के है राष्ट्रीय शक्षिक अनुसन्धान परिषद् की सत्ता चंद एसे हातों में है जिससे कुछ अच्छे की उम्मीद बेमानी है .उन्हें गौरव का बोध नहीं है यह लोग योजना के तहत वहां बिठाये गए हैं " यह बात संघ प्रमुख के सी सुदर्शन ने भारतीय विचार संथान द्वारा भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही
उन्होंने भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था पर भी कड़े प्रहार किये व कहा की भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में सेवा का भावः नहीं है वह आई सी एस का नया स्वरुप है आई ऐ एस .यह प्रणाली अंग्रेजों की देनं है व इसमें बड़े पैमाने पर सुधार की जरूरत है इसमं सेवा के भावः की जरूरत हैं तभी देश का विकास संभव है .
उन्होंने भारतीय सविधान के मूल स्वरुप पर भी कई सवाल उठाए उनका कहना था की संविधान में अभी तक १०० से अधिक संशोधन हो चुके है व इसके मूल स्वरुप से स्वयं भाबा साहेब आंबेडकर भी सहमत नहीं थे किन्तु फिर भी उन्होंने सहमती दी . उन्होंने भारतीय लोगों के अंग्रेजीकरण पर भी जमकर कटाक्ष किये व इसे संस्कृति का विरोधी बताया .इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे

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