मध्यप्रदेश में शिव के राज में कानून व् प्रशासनिक व्यवस्था जिस तरीके से चरमरा गई है उसका ताज़ा उदहारण जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त देश के प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग व् बीजेपी के शीर्ष नेता लाल कृष्ण आडवाणी की कटनी जिले में हुई सभा में बीजेपी के कार्यकर्ता व पूर्व जिलाध्यक्ष द्वारा लकडी की चप्पल यानि खडाऊं का फेंकना सवाल यहाँ कार्यकर्ता के असंतोष या चप्पल फेंकने का ही नहीं है सवाल है वीआइपी व्यक्ति की सुरक्षा का, कानून व प्रशासनिक व्यवस्था का ? क्या मध्यप्रदेश की कानून व प्रशासनिक व्यवस्था इतनी चरमरा गई है कि देश के बड़े नेता की ही सुरक्षा नहीं कर सकती ? गौरतलब है की राज्य में भा जा पा की सरकार है व आडवाणी उस पार्टी के सर्वोच्च नेता हैं इसे में प्रशासनिक जिम्मेदारी और बढ जाती है तो फिर देश के पूर्व गृह मंत्री के साथ ऐसा हादसा कैसे और इस पर से बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष का श्री सिसोदिया का बयान कि " पावस अग्रवाल मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं और गर्मी के मौसम में इसी तरह की हरकतें करते रहते हैं बीजेपी को उनसे कोई लेना देना नहीं है वे पार्टी में नहीं हैं " ऐसे में अब एक सवाल और उठता है कि पावस अग्रवाल की मानसिक रूप से विक्षिप्तता की पूर्व जानकारी होने के बावजूद उन्हें अग्रिम श्रेणी की पंक्ति में जगह कैसे मिल गई ? यदि भा जा पा नेताओं के बयान को सही माने तो मानसिक रूप से विछिप्त यह व्यक्ति चप्पल की जगह कोई और वस्तु ले जाता तो किसी बड़ी घटना की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता था अभी हॉल ही में देश में कई एसी घटनाएँ हुई हैं जिससे प्रशासन सबक लेकर विशेष सतर्कता बरत सकता था व इसी शर्मनाक घटना को होने से रोका जा सकता था
जहां राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्र की पुलिस महानिदेशकों को लिखी चिट्ठी के अनुसार निशाने पर हैं ऐसे में उज्जैन में मुख्यमंत्री की स्वयम की सुरक्षा में सेंध लगी जिसमें पायलट वाहन का ड्राइवर व् अन्य तीन लोग घायल हुए सुरक्षा व प्रशासनिक व्यवस्था की ऐसी चूक विशिष्ट लोगों की सुरक्षा में है
वहीँ अगर प्रदेश में कानून व्यवस्था की बात करें तो स्वयं मुख्यमंत्री के रिश्तेदार सुरक्षित नहीं है
25 मार्च 2009 को मुख्यमंत्री के भाई के घर प्रदेश की राज़धानी भोपाल की पौश कालोनी में हुई डकैती की घटना राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाती है
अभी तेरह अप्रैल को गोहद के कांग्रेसी विधायक माखन सिंह जाटव की ह्त्या से पुलिस की नाकामी की कलई खुल गई है किन्तु हत्यारे आज भी खुले घूम रहे हैं इससे पूर्व बीजेपी विधायक व पूर्व मंत्री सुनील नायक की ह्त्या भी राज्य में बढ़ते अपराधों का ही परिणाम थी जब राज्य की पुलिस आला नेताओं ,जनप्रतिनिधियों तथा स्वयं मुख्यमंत्री की सुरक्षा नहीं कर सकती तो इसे में आम जनता को सुरक्षा की उम्मीद कम ही हैं
शिवराज के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के दिन इंदौर में हुई ५४ लाख की बैंक डकैती, सतना में डकैतों द्वारा पारिवारिक नरसंहार, भोपाल के देना बैंक के सहायक प्रबंधक की बीच शहर में ह्त्या व् ह्त्या का कोई सुराग आज तक नहीं मिलना राज्य में कानून व्यवस्था की पोल खोलता है
कांग्रेस के नेता व् मुख्या प्रवक्ता मानक अग्रवाल का इस सम्बन्ध में कहना है कि "मध्यप्रदेश में कानून व प्रशासनिक व्यवस्था की स्थिति बिलकुल ठीक नहीं है जिस तरह से एक वर्ष में दो जनप्रतिनिधियों की ह्त्या हुई है व् स्वयं मुख्यमंत्री के भाई डकैती के शिकार हैं, बैंक में डकैती डल रही है ऐसे में आमजनता अपने को कैसे सुरक्षित महसूस करे पुलिस की मूक दर्शता से आमजन खफा हैं शिवराज को चाहिए कि मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर आमजन में विश्वास कायम करें"
कानून व प्रशासनिक व्यवस्था पर राजनीतिक बयानबाजी अपनी जगह है किन्तु आम जनता भी महसूस करती है कि शांति का टापू कहा जाने वाला मध्यप्रदेश अपराध की गिरफ्त में है तथा अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं और चुनावी बेला में आम जनता का यह आक्रोश शिव की बीजेपी सरकार को भारी पड़ सकता है
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