निश्चित तौर पर आप सपूर्ण मध्यप्रदेश के निर्विवाद जननेता बन चुके हैं। आम अवाम आपकी सभाओं में पागलों की तरह दौड़ता है, आप से प्यार करता है। माता-बहनें आपको दुआएं देती हैं; बु+जुर्ग आपको आशीर्वाद देते हैं। पूरे प्रदेश में भाजपा के किसी राष्ट्रीय नेता की छवि पर आपकी छवि भारी है। आप निष्कपट निश्छल भाव से राजनीति करते हैं। सब कुछ बेहतर है। फिर आपके अफसरान आपकी खिल्ली क्यों उड़ाते हैं? एक अफसर कहते हैं कि शिवराज को जो चंद लोगों ने घेर रखा है, वे जैसा कहते हैं, शिवराज वैसा ही करते हैं। कोई कहता है तगाड़ी उठाकर श्रमदान करो, कोई कहता है कोयला मार्च करो, कोई कहता है साइकिल से मंत्रालय जाओ, कोई कहता है आगंनवाड़ियों में बच्चों को खीर खिलाओ और कोई कहता है लाड़ली लक्ष्मी को गोद में उठाओ।
हां, यह सच भी है कि आप पिछले कई माहों से ऐसे उपक्रम कर रहे हैं। यह जनता को लुभाने के सस्ते उपक्रम हो सकते हैं। राजनीति में ये लालू शैली के हथकंडे कहलाते हैं। माना इस सबसे आप जननेता बन गए हैं। लेकिन क्या आपके अफसरान मदारी हैं और आप उनके जंबूरे? नहीं. कतई... नहीं... अगर आप जानते बूझते सिर्फ इसलिए जंबूरे बने हुए हैं, ताकि आपको प्रदेश की जनता मामा, चाचा, काका, भैया कह कर बुलाए तो यह मध्यप्रदेश के साथ विश्वासघात है, धोखा है। यह धोखा प्रदेश के कुल चार-पांच अफसरान करवा रहे हैं। ये अफसर आपको उक्त सस्ते लोक लुभावन उपक्रमों में लगाकर सपूर्ण मध्यप्रदेश में लूट मचाए हुए हैं। ये मदारी सत्ता के मठाधीश बन गए हैं। इनकी क्रियाशीलता ही बदल गई है। ये भ्रष्टाचार के ताल में बैठकर प्रशासनिक डकैतों द्वारा प्रदत्त लूट के माल का बंटवारा कर रहे हैं। कुछ देर मुख्यमंत्री आवास और मंत्रालय में बैठिए, अपनी अक्ल लगाइए शिवराज जी। आप तो पूरे प्रदेश में जंबूरे बन कर घूमते हैं। आपके पीठ पीछे आवास और मंत्रालय में क्या होता है? इस पर ध्यान दीजिए।
शिवराज जी, आप मध्यप्रदेश के इतिहास के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो गाहे-बगाहे मंत्रालय जाते हो तो मीडिया में खबर बनती है कि आज मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण फाइलें निपटाईं। अरे! भाई मुख्यमंत्री का काम ही फाइलें निपटाने और कल्याणकारी तथा विकास कार्यों की मानीटरिंग करना है। दोबारा मुख्यमंत्री बनने पर आपने प्रदेश के विकास के सात संकल्प लिए थे। उन सात संकल्पों और सौ दिनों की हर विभागीय कार्ययोजना इन दोनों पर अफरशाही फिसड्डी साबित हुई। अगर सब हरा-हरा दिख रहा है तो आपको और आपके अफसरान/मंत्रियों को! वस्तु स्थिति इससे उलट है। मध्यप्रदेश आर्थिक बदहाली की ओर बढ़ रहा है। राज्य का राजस्व कर संग्रहण जो १७ ह+जार करोड़ रुपए तक पहुंच गया था, उसमें दो ह+जार करोड़ की कमी आने के आसार हैं। राजस्व में आई कमी के कारण सरकार को राज्य की वार्षिक योजना में दो ह+जार करोड़ रुपयों की कटौती करने को मजबूर होना पड़ रहा है। राज्य का सरकारी ख़जाना तो खाली है ही, उस पर ७० ह+जार करोड़ का ओवर ड्राफ्ट भी है। वित्तीय साधन जुटाने के लिए सरकार जितना कर्ज ले सकती थी, उतना ले चुकी है। अब सरकार को अपनी प्रतिभूतियां बेचना पड़ रही हैं। विभिन्न विभागों के बजट को ३० से ४० प्रतिशत कम किया जा रहा है। वित्तीय संकट के कारण राज्य सरकार की योजनाओं के लिए खरीदी पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह सोचनीय है कि आखिर आर्थिक बदहाली आई क्यों? शिवराज जी, आपके मदारियों ने आपसे जो लोक लुभावन घोषणाएं करवाई हैं, उससे ये हालात बने हैं। लाड़ली लक्ष्मी योजना और कन्यादान योजना कुछ मायनों में ठीक हैं, लेकिन इसका विकास से क्या वास्ता है? पांच इंवेस्टर्स मीट का क्या फायदा हुआ? आपके प्रदेश में जब इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होगा तो कौन उद्योगपति प्रदेश में आएगा? तिस पर आपके भ्रष्ट दरिंदे उनके आने के पूर्व ही रिश्वत मांगेंगे। विभिन्न वर्गों की पंचायतों-महापंचायतों में दोनों हाथों से ख़जाना लुटाया गया। इस उपक्रम से आप सत्ता में तो आ गए। परंतु राज्य आर्थिक बदहाली में डूब गया। अभी भी बौद्धिक अय्याशियां, बंगलों की साज-सज्जा और हवाई यात्राएं जारी हैं। शिवराज जी, सत्ता वापसी के लिए आपने राष्य के सरकारी कर्मचारियों को छठे वेतनमान का लाभ देने की घोषणा की थी, जिसे पूरा करने के लिए राज्य सरकार को सालाना २५ सौ करोड़ रुपयों की +जरूरत होगी। इसी तरह किसानों को तीन प्रतिशत ब्याज दर पर क़र्ज उपलब्ध करवाने के लिए सरकारी ख़जाने पर पांच हजार करोड़ रुपयों का भार पड़ना तय है। इसके अलावा आपने जो लोक लुभावनी घोषणाएं की हैं, उसके लिए कम से कम २० ह+जार करोड़ रुपयों की जरूरत होगी। इतनी बड़ी रकम कहां से आएगी? जो विकास योजनाएं लागू हैं, उनका क्रियान्वयन हो रहा है या नहीं? इस मद में आने वाले पैसे का राजनेता, अफसर, ठेकेदार कैसा बंटवारा कर रहे हैं? भ्रष्टाचार कहां-कहां है? इस पर ध्यान दें तो बेहतर होगा।
बिजली, सड़क, पानी को लेकर पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं। इन बिंदुओं पर सोचिए, कौन है वो लोग जिन्होंने मनमाने ढंग से करोड़ों की बिजली खरीदी। महाभारत काल के ÷संजय' से नहीं तो कमलनाथ और आपके काल के ÷संजय' से पूछिए? अगर प्रदेश के ४-५ भ्रष्ट अफसर आपको वाकई नायक फिल्म का अनिल कपूर समझते हैं, तो आप अनिल कपूर की त+र्ज पर अपनी चाबुक मुख्यमंत्री निवास से ही चलाइए, जहां सर्वाधिक भ्रष्टाचार के मठाधीश विराजे हैं। भ्रष्टाचार मिटाने के लिए आप वाकई दृढ़संकल्पित हैं तो देखिए कि जिलों के वे कौन-कौन कलेक्टर हैं, जो उच्च प्रशासनिक व्यवस्था के दरबारों में चढ़ावा चढ़ाते हैं? वे कौन चार अफसर हैं, जिन्होंने अभी हाल ही में भोपाल एयरपोर्ट के पास ५४ करोड़ की जमीन खरीदी है? मुख्यमंत्री जी, वास्तव में प्रदेश का नहीं, अफसरों, सत्ता के दलालों और आपके मंत्रियों का विकास हो रहा है। जागो शिवराज जी, प्रदेश के विकास के बारे में सोचो। आप जननेता तो बन गए हैं, अब सरकारी अफसरान के ÷क्रियाशील-मुख्यमंत्री' भी बन जाइए, तभी उजाला होगा, तभी वास्तविक विकास होगा।