जोड़तोड़ में जुटे प्रदेश के नेताओं,राजनाथ समर्थकों में मायूसी भाजपा पार्टी में मचा धमासान का असर मध्यप्रदेश भोपाल में भी देखा जा रहा है। मध्यप्रदेश के नेता अभी से गुणा भाग में जुट गए हैं। राजनाथ सिंह के समर्थकों में मायूसी हैं और उनकी नजर केंन्द्रीय फैसले पर टिकी है वहीं सुषमा स्वराज और अरूण जेटली के समर्थकों के चेहरे खिले हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि मध्यप्रदेश में अब उनका कद बढ़ेगा। केंन्द्रीय नेतृत्व में बदलाव की सूरत में मध्यप्रदेश के नेताओंको भी नए माहौल में ढलना होगा, जो एक चुनौती साबित होगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ की विदाई वेंकैया नायडू मजबूत होंगे वहीं उनके समर्थकों का कद यहां और बढ़ जाएगा। सता में मध्यप्रदेश के मंत्री बाबूलाल और कैलाश विजयवर्गीय का दबदबा बढ़ेगा क्योंकि कैलाश विजयवर्गीय और अरूण जेटली की छत्रछाया में ही आगे बढ़ रहे और अरूण जेटली से भी उनकी हैं। संगठन में नरेंद्र सिंह तोमर और कप्तान सिंह सोलंकी और अनिल दबे और राजनाथ सिंह ने बेहतर संबंध के चलते ही सांसद की दौड़ में शामिल हो पाए हैं वहीं प्रभात झा को संघ का वरद हस्त प्राप्त है। अब ये नेता गुणा भाग में जुटे हुए हैं। मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सबके चहेते बने हुए हैं। केंन्द्रीय राजनीति के कभी प्रमोद महाजन के करीब रहे आज लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह दोनों के विश्र्रास पाप्त हैं। सुषमा स्वराज और अरूण जेटली से भी उनकी नजदीकियां है। सुषमा स्वराज केंन्द्रीय मजबूत होते ही मध्य प्रदेश की राजनीति में और असरदार साबित होंगी। राज्यसभी के बहाने मध्य प्रदेश में दाखिल हुई सुषमा स्वराज अब प्रदेश की सबसे बडी+ नेता बन गई है। लोकसभा में मध्य प्रदेश से ही प्रवेश पाई। उपनेता प्रतिपक्ष बनी और नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में सबसे आगे है। राजनाथ सिंह की विदाई से मध्य प्रदेश में कैलाश विजयवर्गीय , सुषमा स्वराज और अरूण जेटली का हाथ पकड़कर और आगे जाने की प्रयास करेंगे। अनिल दबे ने राजनाथ सिंह के चलते राज्यसभा में प्रवेश किया अब वे सुषमा स्वराज के विश्र्रस प्राप्त बने हुए हैं। कप्तान सिंह सोलंकी पर अब संघ का हाथ नहीं हैं। वे पूरी तरह राजनाथ के कृपा प्राप्त है। प्रभात झा संघ के नुमाइंदे होने के कारण मध्य प्रदेश पर नजर जमाएं हुए हैं। मध्य प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर केंन्द्रीय नेतृत्व में पैर जमाने के फिराक में हैं। सफल अध्यक्ष के रूप में जाने जाते हैं।
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