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मजाक बनी मुफ्त बुनियादी शिक्षा

भोपाल। मुफ्त शिक्षा की गारंटी का फॉर्मूला प्रदेश में नाकाम साबित हुआ है। 11 जिलों में मुफ्त शिक्षा कानून का उल्लंघन कर बच्चों से फीस लिए जाने की बात सामने आई है। इसको लेकर राज्य शिक्षा केंद्र ने जिला कलेक्टरों को पत्र भेज मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश सरकार 14 साल तक के बच्चों को आरंभिक शिक्षा मुफ्त देने की पैरवी करती है, मगर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में ही इसका खुला उल्लंघन जारी है। सरकार की नाक के नीचे ही बच्चों को बगैर फीस चुकाए पढने का अधिकार नहीं मिल पाया है। राजधानी के कई सरकारी स्कूलों में भी बच्चों से फीस वसूली के मामले सामने आए हैं। इसकी जानकारी मिलते ही राज्य शिक्षा केंद्र ने आनन-फानन में जिला कलेक्टरों को पत्र लिखा है। इसमें मप्र जनशिक्षा अधिनियम 2002 (शिक्षा का कानून) का पालन सुनिश्चित करवाने को कहा गया है। राज्य शिक्षा केंद्र ने यह कदम स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव के पत्र के आधार पर उठाया है।
जांच रिपोर्ट मांगी
पत्र में उन जिलों और सरकारी स्कूलों का नाम लिखा गया है, जिनमें प्रवेशित बच्चों से विभिन्न मदों में फीस ली गई है।
इसे जनशिक्षा अधिनियम के विपरीत बताते हुए कलेक्टरों से प्रकरण की जांच कराकर दोषी अधिकारियों-कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्म कार्रवाई करने को कहा गया है। मामले में कलेक्टरों के अभिमत के साथ जांच रिपोर्ट भी मांगी गई है।
यहां हैं कानून के दोषी
शिक्षा केंद्र ने जिन 11 जिलों में जनशिक्षा अधिनियम के उल्लंघन पर कलेक्टरों को पत्र जारी कर जवाब तलब किया है उनमें भोपाल समेत मंदसौर, शिवपुरी, छिंदवाडा, सीधी, देवास, सिवनी, हरदा, रतलाम, नीमच और होशंगाबाद शामिल हैं। उन के पास शिकायतों का पुलिंदा मौजूद है जो शिक्षा के कानून का उल्लंघन होने की पुष्टि करते हैं। इनमें जिलों के सरकारी स्कूलों के नाम और उनमें किस मद में कितनी फीस वसूली गई इसका उल्लेख है।

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