सरकार द्वारा जनता के हित के लिए बनाई जा रही योजनाएं हकीकत में अमली जामा पहनने से कोसों दूर खडी नजर आती हैं। नतीजा यह होता है कि ग्रामीणों की जानकारियों के लिए बनाई गई योजना अभी अपनी मंजिल से बहुत दूर खडी है। योजना लागू करने के पीछे निश्चित किए गए उद्देश्य भी बेमानी हो जाते हैं। ज्ञातव्य है कि सरकार ने पिछले महीने यह निर्णय लिया था कि सभी ग्राम पंचायतों के सूचना पटल पर यह जानकारी अंकित की जाए कि उसके अंतर्गत आने वाले गांवों सहित हैंडपंपों की वर्तमान स्थिति क्या है। इस आशय के निर्देश जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को दिए गए थे। जिसमें जिले के सभी 1019 गांवों में विभाग द्वारा स्थापित किए गए हैंडपंपों के बारे में जानकारी पंचायतों की दीवारों पर अंकित की जानी थी कि वहां के कितने हैंडपंप चालू हैं ओर कितने हैंडपंप बंद हैं।खराब हैंडपंप को विभाग के मैकेनिक ने कब आकर सुधारा था। बंद हैंडपंप कब से और किन कारणों से बंद पडा है, यह जानकारी भी पंचायत की दीवारों पर अंकित करने की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को सौंपी गई थी। जिले की सभी 499 ग्राम पंचायतों में हैंडपंपों की जानकारी के संबंध में बोर्ड लगाने के निर्देश पिछले महीने जनवरी में दिए गए थे।यह हैं पंचायतों में हालजिले की 499 ग्राम पंचायतों में हैंडपंपों की जानकारी देने वाले बोर्ड लगाने की स्थिति जिला मुख्यालय के नजदीक वाली पंचायतों में भी ठीक नहीं है। यहां से केवल आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम बिजौरी में भी विभाग ने प्राप्त निर्देशों का पालन नहीं किया है। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि जिले की अन्य कितनी ग्राम पंचायतों में हैंडपंपों की जानकारी वाले बोर्ड लगाए गए होंगे।जानकारी के बिना नुकसानपंचायतों की दीवारों पर हैंडपंपों की जानकारी अंकित नहीं होने से ग्रामीणों को तो इस बात की जानकारी मिल ही नहीं पाएगी कि कितने हैंडपंप चालू हैं और कितने बंद। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करने वाले अघिकारियों को भी एक नजर में नलकूपों की जानकारी भी नहीं मिल पाएगी। इससे उनके द्वारा उन गांवों की पानी की समस्या के बारे में भी उन्हें जानकारी नहीं मिल सकेगी। खराब पडे हैंडपंपों को मैकेनिकों द्वारा ठीक किए जाने के बाद वहां के पंच-सरपंच, शिक्षक या अन्य गणमान्य लोगों के हस्ताक्षरों से युक्त पंचनामा तैयार करना था। उन्होंने कितने हैंडपंप सुधारे हैं एवं कितनों के पंचनामें बनाए गए या नहीं। यह नुकसान भी अप्रत्यक्ष रूप से ग्रामीणों को ही उठाना पडेगा। नई योजना का क्या होगाहाल ही में विभाग के मंत्री गौरी शंकर बिसेन ने विभाग के जिम्मे यह योजना भी सौंपी है कि वह पानी की समस्या से ग्रस्त गांवों की योजना बनाएं कि उन्हें पानी की आपूर्ति कहां से की जानी है। इस योजना में उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि इसकी साप्ताहिक समीक्षा की जाए कि वहां की समस्या का क्या हुआ। पहली योजना के हाल सामने हैं, जिससे यह अंदाज लगाया जा सकता है कि नई योजना पर विभाग कितनी गंभीरता से कार्रवाई कर पाएगा। क्या है वर्तमान स्थिति लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने जिले भर के 499 गांवों में छह हजार 641 हैंडपंप स्थापित किए हैं। विभाग की बात मानी जाए तो इनमें से कुल 86 हैंडपंप स्थाई रूप से बंद पडे हुए हैं। जबकि पिछले एक महीने के दौरान सवा सौ हैंडपंप ओर बंद हो गए हैं। बीते माह में इन हैंडपंपों की संख्या 427 थी, जो अब बढकर 545 हो गई है। विभाग इनके बंद होने का कारण भूजल स्तर गिर जाना बता रहा है।जिले की सभी ग्राम पंचायतों में हैंडपंपों की स्थिति दर्शाए जाने वाले बोर्ड लगाने के निर्देश मिले थे। इन निर्देशों के परिपालन में पंचायतों के कार्यालयों की दीवारों पर बोर्ड लगाने की कार्रवाई चल रही है। सभी पंचायतों में बोर्ड नहीं लगाए जा सके हैं।
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