दिल अपना और प्रीत पराई यह पंक्तियां वैसे तो अपने जमाने के मशहूर हिंदी फिल्मी गीत की है, लेकिन इनका अर्थ वास्तव में इस समय सीहोर शहर के बाशिंदो से अघिक कोई नहीं समझ पा रहा है।नर्मदा की अठखेलियां करती धाराएं जिस जिले में बह रही हों, कोलार जैसा विशाल जलाशय जिसकी भूमि पर हो, वहीं उस जिले का मुख्यालय बूंद-बूंद पानी के लिए तरसे तो इसे उन बासिंदों की बदकिस्मती ही कहेंगे। वर्तमान में जिले की नसरूल्लागंज बुधनी तहसीलें जहां नर्मदा नदी के जल से लबालब हो रही हैं, तो कोलार डैम भी क्षमता से कम ही सही लेकिन भरा हुआ है, इसमें इतना पानी तो है कि जिले की प्यास को चार महीनों से अघिक समय तक बुझा सकता है। दूसरी ओर इतनी अघिक जल संग्रहण क्षमता होने के बाद भी सीहोर शहर वर्तमान में बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हो रहा है। जिस कोलार को लेकर विधानसभा चुनावों में बडे-बडे वादे किए गए उसे लाना तो दूर, लाने का प्रस्ताव तक तीन महीने बाद नहीं बन सका है। पानी सीहोर का, सुरक्षा सीहोर कीजिला मुख्यालय की सीमा पर इछावर तहसील अंतर्गत आने वाले वीरपुर डैम और कोलार डैम में पानी भी इन क्षेत्रों में बहने वाली मौसमी नदियों व नर्मदा नदी की सहायक नदियों जिनमें कोलार, सतराना, सहित कुछ अन्य नदियों से आता है। कोलार डैम व उसमें संग्रहित पानी की सुरक्षा का जिम्मा भी सीहोर जिले की पुलिस और सशस्त्र बल के जवानों के हवाले है। कोलार डैम पर तीन शिफ्टों में दो-दो सशस्त्र बल के जवान जिला पुलिस द्वारा तैनात किए गए हैं, जो आठ-आठ घंटे इस पानी और डैम की सुरक्षा के लिए ड्यूटी कर रहे हैं। जिला मुख्यालय के पुलिस नियंत्रण कक्ष के नीचे स्थित 15 वीं बटालियन के यह जवान दिन-रात मुस्तैद रहकर पानी की सुरक्षा कर रहे हैं। न वादा याद रहा न वादा करने वालेअभी विधानसभा चुनावों को संपन्न हुए बमुश्किल चार महीने ही हुए हैं, विधानसभा चुनावों में सबसे प्रमुख चुनावी मुद्दा रहे कोलार का पानी सीहोर लाने के वादे चुनाव बाद किसी को याद नहीं रहे, चुनाव लडने वाले सभी प्रमुख दलों जिनमें भाजपा, कांग्रेस और भाजश प्रत्याशी शामिल थे ने सीहोर शहर में कोलार का पानी लाना अपनी पहली प्राथमिकता बताई थी, लेकिन चुनाव संपन्न हो जाने के बाद जीतने वाले जीत की खुशी में और हारने वाले हार के गम में कोलार को भूल गए। इन चार महीनों में कोलार लाने के लिए प्रस्ताव तक नहीं बन सका है, जबकि चुनावों के समय इसे जनहितैषी और जनता से जुडा मुद्दा करार दिया गया था, व राजनीति से हटकर इसके लिए कार्य करने की कसमें खाई गई थी। लोकसभा चुनावों में फिर होंगे वादेविधानसभा चुनावों के समय कोलार लाओ-शहर बचाओ के नारे लगाने वाले नेताओं को चार महीने में एक बार भी कोलार की याद नहीं आई, लेकिन लोकसभा चुनावों के निकट आते ही फिर यह नारे लगाए जाने लगे हैं। संभावना व्यक्त की जा रही है कि लोकसभा चुनावों में भी सीहोर के बाशिंदों को कोलार के सपने दिखाए जाएंगे। कोलार डैम के पानी को सीहोर शहर लाने की फिलहाल विभाग के पास कोई योजना नहीं है, न ही कोई प्रस्ताव ही विभाग द्वारा बनाया गया है। फिलहाल इस दिशा में कोई कार्य नहीं चल रहा रहा है।
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