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भ्रष्टाचारी अफसरों पर चार साल से कार्रवाई नहीं

इसे अफसरों की लापरवाही कहा जाये या कृषि विभाग में भ्रष्टाचार का बोल - बोल। जहां चार साल से 17 संयुक्त संचालक तथा उपसंचालक स्तर के अधिकार और 25 सहायक संचालकों के विरूद्व कार्रवाई नहीं हो सकी हैं। साथ ही लगभग 40 रिटायर अधिकारियों के विरूद्व 20 साल से मामले लंबित पडे हुए हैं। इसके बावजूद विभाग मानता है कि इनके प्रकरण निपटाने विशेष अभियान चलाया जा रहा हैं। कृषि कल्याण एवं किसान विभाग में भ्रष्टाचार किस कदर फैला है कि ऊपर से लेकर निचले स्तर के अधिकारी भी इसमें गले - गले डूबे हुए हैं। वर्तमान में विभाग में कार्यरत प्रथम श्रेणी के 17 संयुक्त संचालक और उपसंचार स्तर के अफसरों के विरूद्व भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं जबकि 11 अधिकार रिटायर भी हो गये,परन्तु उनके विरूद्व भी सरकार कोई निर्णय नहीं ले सकी हैं। रिटायर अधिकारियों के मामले में वर्ष 88 - गडबडी में फंसे कृषि विभाग के 42 अफसर 90 से लंबित पडे हुए है और ऐसे ही २५ प्रकरण सहायक संचालक स्तर के अधिकारियों के भी लंबित हैं। साथ ही लगभग 20 अधिकारी रिटायर भी हो चुके हैं। मगर भ्रष्टाचार के प्रकरण यथावत बने हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि कृषि विभाग में गडबडियां पीछा नहीं छोड रही हैं। यहां छोडा रही हैं। यहां पर पदस्थ तत्कालीन मैरना के उपसंचालक एनआर भास्कर के विरूद्व वर्ष 2001 से जबलपुर के उपसंचालक केएल कोष्टा के विरूद्व वर्ष 2002 से मामला चल रहा है तो आंचलिक क्षेत्रीय अधिकारी एसआर रहांगडाले उपसंचालक के पी जाटव केएस तेकाम डीके पाण्डे के विरूद्व वर्ष 2004 से प्रकरण चल रहा हैं। वहीं ग्वालियर के उपसंचालक जगदीश सिंह के विरूद्व वर्ष 2005 से राजगढ के उपसंचालक रणवीरसिंह पर वर्ष 2006 से उज्जैन के तत्कालीन उपसंचालक एएस पाटिल तथा इंदौर के उपसंचालक विजय कुमार अग्रवाल के विरूद्व 2006 से अनियमितताएं किये जाने का प्रकरण लंबित हैं। साथ ही सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी जेएस यादव सीबीएस यादव एसके प्यासी उपसंचालक ओपीएस नरवरिया डीसी शर्मा बीएल पाठक के विरूद्व भोपाल में नौ परकोलेशन टेंकों कें निर्माण में की गडबडी सहित अन्य अनियमितताओं के मामले लंबित हैं। ये अनियमितताएं की उर्वरक खरीदी में घोटाला शासकीय सामग्री का उपयोग स्वयं के लिए लिए किया दस लाख की निविदा अवैध रूप से बुलाई बीज विक्रय में गडगडी एवं लाखों रूपए की शासकीय निधि का दुरूपयोग करना शामिल हैं। इनका कहना बहुत बडा विभाग है इतने अधिकारियों के विरूद्व गडगडी के मामले चलते रहते हैं। वर्तमान में इनका निराकरण करने विशेष अभियान चलाया जा रहा हैं।

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