मध्यप्रदेश का साधना न्यूज़ चैनल गलत खबरें दिखाने के कारण दर्शकों का भरोसा खोता जा रहा हैं पिछले तीन महीनों में इस चैनल का ग्राफ जितनी तेजी से नीचे आया हैं उसकी कल्पना तो चैनल चलाने वालों ने भी नहीं की थी इस चैनल के कर्ताधर्ता अब चैनल की चूल्हे हिलने का कारण तलाशने में लगे हैं मध्यप्रदेश के न्यूज़ चैनल में सहारा समय जैसे तैसे अपनी पोजीशन बचाए रखने की जद्दो जहद में लगा हैं वीओआई ने पिछले तीन हफ्तों में बेहतरीन खोज ख़बरों और विशिष्ठ राजनैतिक विश्लेषण के जरिये,साधना चैनल कि जगह तक पहुचने का अभियान शुरू कर दिए हैं ऐसे में ईटीवी मध्यप्रदेश भी अपनी पोजीशन बचाए रखने में कामयाब हुआ हैं मध्यप्रदेश के लोकसभा चुनाव में दलों के साथ इस बार प्रांतीय समाचार चैनल्स की अबरू भी दांव पर थी कई चैनल में काम करने वाले पोलटिकल एडीटर और कुछ ब्यूरो हेड तो इस बार "एकदम दलाल" की भूमिका में नज़र आए और कुछ लाख रुपए मिल जाये इसके लिए नेताओं की चरण रज अपने माथे पर रगड़ते रहे एक चैनल के पोलटिकल एडीटर ने तो २५ लाख का विज्ञापन मिल जाए इसके लिए मध्यप्रदेश भाजपा मुख्यालय में चुनाव प्रबंधन से जुड़े लोगो के पैर छुए और यह तक कहा कि जब २५ लाख का विज्ञापन पहुंचेगा तब ही मुझे एक लाख रूपये महीना मिलेगा इस दलाल किस्म के पोलटिकल एडीटर के किस्सों का खुलासा इसके साथ गए एक रिपोर्टर ने ही किया विज्ञापन कि हमाम में पहले यह काम मार्केटिंग के लोग किया करते थे अब कथित पत्रकारों को भी इस हमाम में सिर्फ इस लिए नंगा होना पड़ रहा हैं क्योंकि वे जिस पद पर रखे गए हैं वे न उस पद के लायक हैं न उनमे इतनी योग्यता हैं कि अपनी ख़बरों से चमत्कार कर चैनल का कुछ भला कर सकें २००८ के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा पैसे उगाही के आरोप वीओआई चैनल पर लगे थे तब वहाँ के हेड एस.पी.त्रिपाठी अपनी नौकरी बचाने के लिए तरह तरह के हथकंडे इस्तेमाल कर रहे थे लेकिन उनकी छवि का नकारात्मक असर चैनल पर पड़ा और अच्छा भला चैनल रेस में शुरू होने से पहले ही हार गया वीओआई चैनल में लड़कीबाजी के किस्सों ने चैनल का दम ही निकाल दिया था लेकिन २००९ के लोकसभा चुनाव से पहले एस.पी.त्रिपाठी को चैनल से वैसे ही किक आउट कर दिया गया जैसा सहारा समय ने उसकी धोखाधडी पकड़ने के बाद किया था एस.पी.त्रिपाठी के वीओआई से बहार जाने का सीधा लाभ चैनल को मिला और वीओआई कि सेहत तो सुधरी ही उसकी बिगड़ी इमेज भी मध्यप्रदेश में ठीक हुई ऐसे में चैनल कि प्रभारी बनाई गई शिफाली शर्मा ,नीरज श्रीवास्तव ,सुरह नियाजी और रवि दुबे जैसे रिपोर्टर ने अपने दमख़म के साथ चैनल को आगे बढ़ाने में जी जान लगा दिया , जिसका नतीजा यह रहा कि वीओआई जनता के बीच में अपनी छवि सुधारने के साथ लोकप्रियता के मामले में साधना न्यूज़ से आगे आ गया पिछले डेढ़ महीने के आक्रामक तेवरों ने तो वीओआई को जनता में खासा लोकप्रिय बना दिया हैं वीओआई चैनल अपना ग्राफ जैसे जैसे बढ़ता जा रहा हैं साधना चैनल उसी स्पीड से जमीन पर आ रहा हैं यह भी इतेफाक हैं कि पहले एस,पी,त्रिपाठी के रहते वीओआई का भट्टा बैठ गया था और अब जब से एस.पी.त्रिपाठी साधना चैनल में पहुंचे हैं तब से साधना चैनल का भट्टा बैठ रहा हैं दिल्ली में बैठे साधना चैनल के निदेशक इस बात से खासे परेशान हैं , उनका अच्छा भला चलता हुआ चैनल डांवाडोल क्यों हो रहा है साधना न्यूज़ के कुछ रिपोर्टर ने दिल्ली में चैनल के मालिकों को त्रिपाठी का कच्चा चिटठा भेजा हैं साधना चैनल के प्रमुख अब एस.पी.त्रिपाठी के बारे में पूरी जाँच पड़ताल कर रहे है कि कहीं उनकी नेगेटिव छवि का असर तो चैनल को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है वैसे भी एस,पी,त्रिपाठी के साधना पहुँचने के बाद चैनल का आक्रामक छवि भोथरी हो गई हैं साधना और वीओआई कि इस जंग में फ़िलहाल तो लड़खडाता वीओआई न सिर्फ संभल गया है उसने सभी रीजनल चैनल को अपनी आक्रामकता से खुली चुनौती भी दे दी हैं ऐसे में सहारा से वीओआई पहुंचे अखलाख और वरिष्ठ पत्रकार किशोर मालवीय का शानदार अंदाज ख़बरों में साफ़ नज़र आता हैं खबरिया चैनल की इस उठापटक के बीच भी सहारा की मध्यप्रदेश में बादशाहत कायम हैं बेहतरीन रिपोर्टर और नपी तुली ख़बरों ने उसे टॉप पर बना रखा हैं संजय रायजादा ,प्रकाश तिवारी ,मनोज सैनी ,श्रुति निमिष सहारा को नंबर वन बनाये रखने में पूरी ताकत से लगे रहते हैं, वही विश्वसनीयता की कसौटी पर सहारा के बाद ईटीवी अब भी नंबर दो पर कायम हैं कुछ सेगमेंट में तो वह सहारा को भी मात दे रहा हैं विधानसभा चुनावों से लोकसभा चुनावों तक जगदीप सिंह बैस , अनिरुद्ध तिवारी , संदीप भम्मरकर , अनुराग श्रीवास्तव जैसे पत्रकार अपने चैनल की विश्वसनीयता बनाये रखने में सफल साबित हुए हैं मध्यप्रदेश के आकाश से जमीन तक खबरिया चैनल की इस लडाई में एक पुरानी कहावत सच साबित होती नज़र आ रही हैं कि " झूठे का मुंह काला और सच्चे का बोलबाला "
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कुछ चैलन हो बिल्कुल वाहियात है।
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