Header Ads Widget

 


Responsive Advertisement

copy-paste

सब कुछ नहीं खरीद सकता पैसा

पैसे से बहुत कुछ हो सकता है, लेकिन सब कुछ नहीं । जीवन में धन की माया सब तरफ नजर आती है। यही वजह है कि धन भी शक्ति माना जाता है। एक ऐसी शक्ति जिसे लेकर यह भ्रम अक्सर बना रहता है कि पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है। पर ऐसा नहीं है। दुर्भाग्य यह है कि जिस तरह कठिन से कठिन लक्ष्य को हासिल करने के बाद ही उसकी सरलता का अनुभव होता है, ठीक उसी तरह धन को अर्जित करने के बाद उसकी निरर्थकता का अनुभव होता है।
किसी ने कहा है कि पैसा ब़ड़ी नामुराद चीज है, लेकिन यह बात पैसा कमाने की बाद ही मालूम प़ड़ती है। रहस्य को पा लेने के बाद ही समझ में आता है कि जिसे हम जीवन का आधार मान बैठे थे दरअसल वह बहुत साधारण चीज है। धन भी इसका अपवाद नहीं है। लेकिन मनुष्य ऐसा प्राणी है, जो अनुभव को सर्वाधिक तरजीह देता है। इसीलिए जब तक धन नहीं होता तब तक हर व्यक्ति की इच्छा यही होती है कि वह भी धनवानों में शुमार किया जाए। जब धन का आना शुरू होता है और उसके साथ ही यह कल्पना भी आनंदित करती है कि अब जीवन में कोई कमी नहीं रहेगी, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता। जीवन में ऐसा बहुत कुछ है जिसे धन नहीं खरीद सकता। इसमें आनंद, स्वास्थ्य, प्रेम और सम्मान मुख्य रूप से शामिल हैं। धन का आगमन जिंदगी की गा़ड़ी के सुगम संचालन में मदद करता है, लेकिन जीवन से जु़ड़ी बहुत सी समस्याओं को हल करने में धन की कोई भूमिका नहीं होती। सम्मान,आनंद, प्रेम और मुक्ति धन से नहीं खरीदी जा सकती। अगर ऐसा होता तो इस दुनिया के करो़ड़पति-अरबपति व्यक्ति शायद लाखों-करो़ड़ों और अरबों रूपए की बोली लगा कर इन दुर्लभ अनुभूतियों को खरीद लेते। महान सिकंदर ने यूनान में एक फकीर के बारे यह सुन रखा था कि वह कभी किसी से कुछ नहीं मांगता है। दुनिया के एक बडे हिस्से को फतह करने वाले सिकंदर का अहंकार छटपटा उठा। आखिर ऐसा कौन सा व्यक्ति है, जो किसी प्रलोभन के आगे नहीं झुकता है। सिकंदर उस फकीर को खोजते हुए दूर समुद्र तट पर पहुंचा। उसने वहाँ देखा कि बस एक लंगोटी पहने एक व्यक्ति रेत पर लेटा हुआ है। सिकंदर उसके पास पहुंचा और ललकार कर कहा कि देख ए फकीर तेरे सामने दुनिया को रौंदने वाला सम्राट सिंकदर ख़ड़ा है। लेकिन उस व्यक्ति पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। एक-एक करके सिकंदर ने उस फकीर से बहुत कुछ कहा और उसे ब़ड़े-ब़ड़े प्रलोभन भी दिए, लेकिन फकीर उसी तरह रेत पर लेटा रहा। आखिर में चि़ढ़ कर सिकंदर ने कहा कि सुन ए फकीर मैं तुझे अपनी सारी सल्तनत देता हूं। अब तो मेरी तरफ देख। इस पर उस फकीर ने धीरे से नजर उठा कर सिकंदर को देखा और कहा कि ए सम्राट अगर तू मुझे कुछ देना ही चाहता है, तो मेरे सिरहाने से हट जा और धूप आने दे। सिकंदर ने शर्मिंदगी से सर झुकाया और उस फकीर के आगे सर झुकाते हुए वापस लौट गया। रावण सोने की लंका का मालिक था। जीवन में सब कुछ था, लेकिन शांति नहीं थी। इसी अशांति और बैचेनी के चलते उसने सीता हरण का अधर्म किया और देखते ही देखते सोने की लंका और खुद रावण अपने सारे कुल के साथ नष्ट हो गया। गलत तरीके से किया गया कोई भी काम चाहे वह धन कमाना भी क्यों न हो अशांति और पतन के मार्ग पर ही ले जाता है। जीवन में धन कमाना मुश्किल नहीं है। लेकिन मानवीय गरिमा के साथ दूसरों की मदद करना, आत्मिक शांति का मार्ग प्रशस्त करना और हर परिस्थिति में आनंदित रहने की चेष्टा करना अवश्य बहुत कठिन है। अब आप ही बताइए कि आप क्या कमाना चाहते हैं। धन या शांति।

Post a Comment

0 Comments