मध्यप्रदेश में प्रभात झा का अध्यक्ष बनना लगभग तय है यदि कोई बाधा न आई तो। पार्टी की स्थापना से लेकर अब तक दो अवसर ही ऐसे आए हैं जब भारतीय जनता पार्टी में चुनाव की स्थिति बनी है। हालांकि राज्यसभा सदस्य प्रभात झा को नकराने भारतीय जनता पार्टी में पूर्व केंद्रीय मंत्रियों में फग्गनसिंह कुलस्ते, डा. सत्यनारायण जटिया चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है, वहीं सांसद भूपेंद्र सिंह के भी चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा है।
भाजपा में इस बार निर्विरोध चुनाव की स्थिति बनती नजर आ रही हैं। पिछले एक माह से प्रदेश अध्यक्ष को लेकर दावेदारों की लंबी सूची थी, जो कि सिमट कर अब तीन - चार की संख्या में ही रह गई हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी की मंशा के अनुरूप तो मध्यप्रदेश अध्यक्ष उनकी पसंद से नियुक्त होना था, लेकिन जिस तरह गुटबाजी उभरी और दावेदारों की संख्या बढ़ने लगी तो नितिन गड़करी ने भी अपना इरादा बदल दिया और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुरूप चुनाव कराने पर अपनी सहमति जता दी। इसके बावजूद बावजूद पार्टी के बड़े नेता इस मिशन में भी लगे रहे कि प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर सभी एक मत हो जाए। लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सवक संघ के सह
कार्यवाह सुरेश सोनी की पसंद राज्यसभा सदस्य प्रभात झा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खेमे के नेताओं को पसंद नहीं आए। इसी वजह से पार्टी में एक गुट प्रभात झा को छोड़ किसी अन्य पर एकमत होने की रणनीति बनाता रहा। इस संदर्भ में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुमित्रा महाजन के दिल्ली स्थित
सरकारी बंगले पर पूर्व और वर्तमान गठन से अब तक दो बार हुए हैं चुनाव सांसदों की एक बैठक भी हुई। इस बैठक में सर्व सम्मत एक नाम तय हो भी गया, उधर दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष नितिन गड़करी और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल से पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और सत्यनारायण जटिया
ने अपनी दावेदारी को लेकर मुलाकात की, वहीं सांसद भूपेंद्र सिंह ने भी इन दोनों नेताओं से बातचीत की। सूत्र बताते हैं कि पार्टी नेताओं ने दावेदारों को संकेत दिए हैं, लेकिन आज दोपहर दिल्ली में प्रभात झा के नाम पर सहमती बन गई। उनके निवास पर बधाई देनेवालों का तांता भी लगने लगा है। पार्टी के बड़े नेताओं के संकेत मिलने के बाद चर्चा यही है कि प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चुनाव कशमकश भरे माहौल में होंगे। उल्लेखनीय है कि भाजपा की स्थापना के बाद से अब तक दो बार ही प्रदेश
अध्यक्ष को लेकर चुनाव हुए है जबकि अन्य अवसर नियुक्ति के ही रहे। वर्ष १९९० में हुए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में लखीराम अग्रवाल के खिलाफ कैलाश जोशी चुनाव मैदान में थे जबिक वर्ष २००० में हुए चुनाव में विक्रम वर्मा के खिलाफ शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़े थे। उस समय जोशी और चौहान को पराजय का सामना करना पड़ा था।

शिवराज सिंह चौहान को क्यों नहीं पसंद प्रभात
शिवराज सिंह चौहान को प्रभात झा पसंद नहीं है। इसीलिए तो उन्होंने पार्टी नेतृत्व के सामने न केवल अपना विरोध जताया था बल्कि अपने इस्तीफे तक की बात कह डाली थी। सुत्र यही बताते है कि अब शिवराज के इस विरोध पर गौर करें तो वे कदापि नहीं चाहते कि प्रदेश में कोई कदावर नेता आए और संगठन मुखिया की हैसियत से उन्हें निर्देश दे। उल्लेखनीय है कि शिवराज सिंह ने पिछले दिनों शिवसेना सुप्रीर्मो बाल ठाकरे की तर्ज पर एक कार्यक्रम में कथिक तौर पर कहा था कि प्रदेश में बिहारियों का क्या काम ? उन्हें उघोगों में रोजगार देने के बजाए स्थानीय लोगों को महत्व दे। जिसको लेकर खासा बवाल मचाया। शिवराज द्वारा उस समय कही गई बातें आज प्रभात झा के मामले में फीट लग रही है। सूत्रों के अनुसार शिवराज सिंह प्रभात झा के विरोध के फलस्वरूप ही अपनी पसंद भूपेंद्र सिंह अथवा फग्गन सिंह पर केन्द्रित कर दी है। अब यह तो कल ही पता चलेगा कि प्रभात झा के खिलाफ कौन, सामने होगा। मगर वृदांवन गए प्रदेश प्रतिनिधियों को लेकर चर्चा यही कही कि इन्हीं के दम पर चुनावी माहौल तय किया जाएगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में प्रदेश के ७० प्रदेश प्रतिनिधियों की भुमिका अहम होगी। सूत्रों के अनुसार शिवराज के इनर सर्किले ने राज्यसभा सदस्य प्रभात झा को सर्वम्मत अध्यक्ष बनने से रोकने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं तथा अपना ध्यान प्रदेश प्रतिनिधियो को हायर किया है। प्रतिनिधिइन दिनों वृंदावन में भागवत कथा का आनंद ले रहे हैं। बताते हैं कि ये प्रतिनिधि देर रात तक भोपाल आ जाएंग।