ये हैं स्वर्णिम मध्यप्रदेश के कर्णधार। - कानून-कायदों से परे, आरोपों से घिरे। - आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों के कामकाज पर सवाल स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने का संकल्प लेने वाली प्रदेश की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार के आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों के कामकाज पर सवाल उठ रहे हैं। खुद को मध्यप्रदेश की साढ़े छह करोड़ जनता का हमदर्द बताने वाले इन मंत्रियों ने दोनों हाथों से लूट-सी मचा रखी है। कोई राज्य की योजनाओं को चूस रहा है तो किसी ने केंद्रीय योजनाओं पर बट्टा लगाने की ठान ली है। ऐसे मंत्रियों के भरोसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनता को स्वर्णिम मध्यप्रदेश का सपना दिखाया है। सरकार की प्राथमिकताएं और संकल्प चाहे जो हों, लेकिन विभागों में इन्हीं का एजेंडा का काम कर रहा है। किसी ने विभाग में अपने ठेकेदार छोड़ रखे हैं, तो किसी ने तबादलों को ही अपना व्यापार बना रखा है।

पारस जैन जी,खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री:- शकर एवं दाल खरीदी के मामले के बाद अब फोर्टिफाइड आटे को लेकर गंभीर आरोपों से घिरे। करोड़ों की आटा खरीदी का काम अपने नजदीकी ठेकेदार और मिल कंपनियों को देने की जुगत में। रिश्वत देने के बावजूद काम नहीं होने पर एक फूड इंस्पेक्टर ने आत्महत्या की। इंस्पेक्टर के परिजनों ने मंत्री पर अरोप लगाए।

रंजना बघेल जी,महिला एवं बाल विकास विभाग में मंत्री :- कुपोषण के कलंक से परेशान सरकार ने पूरा भरोसा जताया , लेकिन धांधली के एक नहीं दर्जनों आरोप उन पर हैं। विभाग को पीए और पति चला रहे हैं। अधिकारियों की पोस्टिंग विभाग का सबसे अहम काम बना हुआ है। पोषण आहार सप्लाई के ठेके में भारी भ्रष्टाचार। अपने गृह जिले धार के ठेकेदारों को ही सर्वाधिक ठेके देने के आरोप उन पर हैं। कुपोषण के निपटने के तमाम प्रयास विफल हुए। अब अटल बाल आरोग्य मिशन में कुपोषण से निपटने के तरीकों से बजट खर्च करने की योजना पर ध्यान है।

रामकृष्ण कुसमारिया जी,कृषि मंत्री :- बाबाजी के नाम से जाने वाले अपने पीए के कारण बदनामी और तमाम आरोप झेल रहे हैं। उन पर पीए के माध्यम से वसूली के आरोप हैं। पशुपालन मंत्री रहते हुए मछली ठेके गलत तरीके से दिए, जिस पर विवाद हुआ। इसी वजह से उनसे विभाग छिना। पिछले दो साल से जैविक नीति का राग अलाप रहे हैं, लेकिन आज तक नीति का अता-पता नहीं। मंत्री से पहले जब सांसद थे, तब मिस्टर टेन परसेंट कहलाते थे। मंत्री के रूप में भी यही पहचान। अधिकारियों में नूरा-कुश्ती कराने में माहिर।

सरताज सिंह जी,वन मंत्री :- वन विभाग के दागी अफसरों को बचाने में हमेशा आगे रहे। कई अफसरों के दोषी करार होने के बाद भी कार्रवाई नहीं की। वन माफिया को संरक्षण देने के आरोप। बैतूल के जंगजों में मिले बंगर मामले में विभाग की लचीली कार्रवाई।

अर्चना चिटनीस जी,स्कूल शिक्षा मंत्री :- स्कूल चलें हम और माध्यमिक शिक्षा अभियान को पलीता लगाया। स्कूल यूनिफार्म मामले में घोटाले के आरोप। सभी ठेकेदारों को अपने गृह नगर बुरहानपुर स्थित लैब से कपड़े का परीक्षण कराने के नाम पर वसूली। इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हस्तक्षेप करना पड़ा। स्कूलों में सेवाभारती की पुस्तक देवपुत्र की सदस्यता के मुद्दे पर सरकार की थू-थू कराई। माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत स्कूलों में बिना टेंडर के ग्रीन बोर्ड लगावाए।

राजेंद्र शुक्ल जी, ऊर्जा एवं खनिज मंत्री :- खनिज माफिया को संरक्षण दिया। अपने गृह जिले रीवा के पड़ोसी जिले सतना में समर्थकों को खनिज लूट की खुली छूट दी। कटनी और अन्य स्थानों पर खनिज चोरी पर आंखें बंद किए हुए हैं। ऊर्जा विभाग से एमओयू कराकर उन्हें लाभ पहुंचाने के आरोप।

अजय विश्नोई जी,पशुपालन,मछलीपालन मंत्री :- गैर परंपरागत ऊर्जा स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए दवा खरीदी घोटाले के आरोपी। लोकायुक्त में मामला दर्ज। स्वास्थ्य विभाग में महाघोटाले के आरोपी तत्कालीन स्वास्थ्य आयुक्त राजेश राजौरा और लघु उद्योग निगम के बीएम सिंह सहित अभय विश्नोई के खिलाफ आयकर की रिपोर्ट। विश्नोई को छोड़ दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई हुई। इन कारगुजारियों से मंत्री पद तो गया, लेकिन जुगाड़ लगाकर फिर से मंत्री बने। पशुपालन, मछलीपालन के साथ मलाईदार अपरंपरागत ऊर्जा विभाग भी मिला।

इसका मतलबय है :- अगर मुख्यमंत्री महदोय ध्यान ना दे तो चलने दो अपना धन्धा पानी यही अपना रोजी रोटी चलेने दो। यह है मंत्रीयो का रवईया। इसका मतलब होने दो धान्धली कोई देखने वाला नही है चलेन दो धान्धली ।
अब इन मंत्रियों पर नजर है