कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच टकराव और बढ़ गया है। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को बुधवार को सिरे से खारिज कर दिया। किसान नेताओं ने इसके साथ ही ऐलान भी कर दिया है कि कृषि कानूनों के रद्द होने तक आंदोलन जारी रहेगा। किसानों ने आंदोलन तेज करने की रुपरेखा भी तय की है।

बता दें कि सरकार ने आज सुबह किसानों को प्रस्ताव भेजा था,जिसमें MSP को लेकर गारंटी की बात की गई थी। उम्मीद थी कि बात बन जाएगी, लेकिन किसानों ने प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। सरकार की ओर से मिले प्रस्ताव के बाद किसान नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग की। बैठक के बाद किसानों ने औपचारिक प्रेस कांफ्रेंस कर के अपनी बात कही, जिसमें आगे का प्लान बताया गया।

किसानों का क्या है आगे का प्लान

- रिलायंस के प्रोडक्‍ट्स का बहिष्कार करने का ऐलान

-14 दिसंबर को देशभर में धरना - प्रदर्शन होगा

- दिल्ली की सड़कों को करेंगे जाम 

- दिल्ली-जयपुर, दिल्ली - आगरा हाइवे को 12 दिसंबर को रोका जाएगा

- पूरे देश में आंदोलन तेज होगा

- सरकार के मंत्रियों का घेराव होगा

- 14 दिसंबर को बीजेपी के ऑफिस का घेराव होगा

- 14 दिसंबर को हर जिले के मुख्यालय का घेराव होगा   

- 12 दिसंबर को सभी टोल प्लाजा फ्री करेंगे

- कृषि कानूनों के वापस होने तक आंदोलन जारी रहेगा

- दिल्‍ली और आसपास के राज्‍यों से 'दिल्‍ली चलो' की हुंकार भरी जाएगी

सरकार के प्रस्ताव में क्या था :- पांच दौर की बातचीत के बाद सरकार की ओर से किसानों को लिखित में प्रस्ताव भेजा गया था। इस  लिखित प्रस्ताव में एमएसपी की गारंटी समेत मंडी को लेकर वादे किए गए। कृषि कानूनों को वापस लेने पर तो सरकार राजी नहीं है,लेकिन संशोधन प्रस्तावों में एपीएमसी को मजबूत करने की बात है। विवाद की सूरत में स्थानीय अदालत जाने का अधिकार दिया गया है। पराली जलाने पर सख्त कानून में ढील की भी बात कही गई।

14 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का डेरा :- कृषि कानूनों के विरोध में किसान 14 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले हैं। सरकार और किसानों के बीच अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है। सभी बातचीत बेनतीजा रही। आज छठे दौर की वार्ता होनी थी,लेकिन उससे पहले मंगलवार शाम को गृह मंत्री अमित शाह की किसान नेताओं से मुलाकात हुई। ये बातचीत भी बेनतीजा रही। 

जिसके बाद किसान नेताओं ने आज होने वाली वार्ता को स्थगित करने की बात कही। कल की बैठक में तय हुआ था कि सरकार किसानों को लिखित में प्रस्ताव भेजेगी। सरकार की ओर से इसे आज भेजा गया,लेकिन किसानों को ये पसंद नहीं आया। बता दें कि सरकार जहां कृषि कानूनों को वापस ना लेने पर अड़ी है तो किसान कृषि कानून को रद्द किए जाने की मांग पर अडिग हैं।